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मार डाला है, तो उसके सामने रावणका सेवक मधु तो बिचारा है । उसी लक्ष्मणकी आज्ञासे शत्रुघ्नने रणमें मधुको मारा है।" -
चमरेंद्र बोला:-"अमोघशक्तिको लक्ष्मणने विशल्याके "प्रभावसे जीता था; परन्तु विशल्या अब विवाहिता होगई है, इसलिए उसका प्रभाव जाता रहा है । अब वह कुछ 'नहीं कर सकता है । इसलिए मैं अवश्यमेव जाकर मित्रहन्ताको मारूँगा।"
इस प्रकार उत्तर देकर, चमरेंद्र क्रोधके साथ शत्रुघ्नके देश मथुरामें गया । उसने शत्रुघ्नके सुशासनमें सबको स्वस्थ देखा । चमरेंद्रने-यह सोचकर कि, स्वस्थ प्रजामें नाना भाँतिके उपद्रव मचाकर, शत्रुको घबरा देना ही उत्तम है-मथुराकी प्रजामें अनेक प्रकारकी व्याधियाँ फैला दीं। कुलदेवताने आकर, शत्रुघ्नको व्याधियाँ फैलनका कारण बताया । इसलिए शत्रुघ्न राम, लक्ष्मणके पास गया।
उसी समय देशभूषण और कुलभूषण नामा मुनि विहार करते हुए अयोध्यामें आये । राम, लक्ष्मण और शत्रुघ्नने उनके पास जाकर चरण वंदना की। फिर रामने मुनिसे पूछा:-* शत्रुघ्नने मथुरा लेनेका आग्रह क्यों किया ?".
देशभूषण मुनि बोले:-"शत्रुघ्न का जीव अनेक बार मथुरामें उत्पन्न हुआ है। एकवार वह श्रीधर नामा ब्राह्मण