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जैन रामायण सातवाँ सर्ग ।
उठ बैठे। रामभद्रने हर्षाच गिराते हुए अपने अनुजको गले लगाया।
तत्पश्चात रामन लक्ष्मणको विशल्याका सारा वृत्तान्त सुनाया और अपने व दूसरोंके घायल सैनिकों पर उसके स्नानजलका सिंचन किया।
फिर रामकी आज्ञासे विशल्याके साथ, एक हजार अन्य कन्याओं सहित लक्ष्मणने विधिपूर्वक ब्याह किया। विद्याधरोंने, लक्ष्मणके नवीन जीवनका, जगतको आश्चर्यमें डालनेवाला बड़ा भारी उत्सव किया।
__ लक्ष्मणके जी उठनेसे पीडित रावणकी मंत्रणा। .
लक्ष्मणके जी जानेकी बात सुनकर, रावणने अपने उत्तम मंत्रियोंको बुलाया और कहा:-“मेरा ऐसा खयाल था कि शक्तिके प्रहारसे सवेरे ही लक्ष्मणके साथ ही, स्नेहवश, राम भी मर जायगा । दोनोंके मर जानेसे वानर भाग कर अपने अपने स्थानोंको चले जायेंगे और बन्धु कुंभकर्ण, व पुत्र इन्द्रजीत आदि छूटकर स्वयमेव मेरे पास चले आयेंगे; परन्तु देवकी विचित्रतासे लक्ष्मण तो जी उठा; इस लिए बताओ कि-अब कुंभकर्ण, इन्द्रजीत, आदि कैसे छुड़ाये जायँ ?" ___ मंत्रियोंने उत्तर दियाः-" सीताको छोड़े विना कुंभकर्ण आदिका छुटकारा होना कठिन है; बल्के किसी भवानक आपचिके आनेकी संभावना है । हे स्वामी ! इतने