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स्त्रीरत्नको तू ग्रहण कर । याद तू उसका प्राप्त न कर सका तो तू रावण नहीं है।" ___ इतना सुनते ही रावण तत्काल ही पुष्पक विमानमें बैठा
और बोला:-" हे विमानराज ! जहाँ जानकी है वहाँ तू शीघ्रतासे चल ।" __सीताके पास गये हुए रावणके मनकी स्पर्धा करता हो वैसे वह विमान अति वेगके साथ जानकीके पास गया । वहाँ उग्र तेजवाले रामको देख, रावण तत्काल ही दूर जा खड़ा हुआ । जैसे कि अग्निसे सिंह भीत होकर दूर जा खड़ा होता है।
"अहो इस अति उग्रतेजधारी रामके पाससे सीताको हरे लेजाना, इतना ही कठिन है जितना कि सिंहके सामनेसे अतिपूर वाली नदीको पार कर जाना ।" ऐसा विचारकर उसने अवलोकिनी विद्याका स्मरण किया। विद्या तत्काल ही आकर दासीकी तरह हाथ जोड़, खड़ी हो गई।
रावणने उससे कहा:-" सीताको हरनेके कार्यमें तू मुझको सहायता कर।"
विद्या बोली:--" वासुकि नागके मस्तकसे मणि लेना सरल है; मगर रामके पाससे सीताको ले लेना देवताओंके लिए भी कठिन है । तो भी इसका एक उपाय है । युद्धमें जाते समय रामने लक्ष्मणसे बुलानेकी आवश्यकता पड़ने पर सिंहनाद करनेका संकेत निश्चित किया था । इस