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२३४ जैन रामायण पाँचवाँ सर्ग । wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwmmmmmmm थी उसके लिए उसने अपने सेवकोंको आज्ञा दी किदासियोंकी भाँति इन सब स्त्रियोंको गर्दनिया देदेकर अपने नगरसे बाहिर निकाल दो।"
तत्काल ही उसके महापराक्रमी सामंत, उसकी आज्ञा पालनेके लिए, सेना सहित स्त्रियों को उपद्रवित करने लगे।
लक्ष्मणने तत्काल ही हाथीको बाँधनेका एक स्तंभ उखाड़ लिया और उसीको शस्त्र बना, उससे सारे सामं तोको, धराशायी कर दिया ।
सामंतोंके विनाशसे अतिवीर्य अधिक क्रुद्ध हुआ। और खग खींचकर युद्धके लिए स्वयं सामने आया। तत्काल ही लक्ष्मणने उसके पाससे खड्ग छीन लियः
और उसको, केश पकड़ पृथ्वीपर पछाड़, उसीके वस्त्रसे उसको बाँध लिया।
पीछे मृगको जैसे सिंह पकड़ता है, वैसे ही उसको नरसिंह लक्ष्मण पकड़कर ले चले । भयत्रसित चपल लोचन काले नगरजन उसको देखने लगे।
तब दयालु सीताने उसको छुड़ा दिया । लक्ष्मणने उससे भरतकी सेवा करना स्वीकार कराया।
तत्पश्चात याने सबका स्त्रीरूप मिटा दिया । इससे उसने राम, लक्ष्मणको पहिचान, उनकी सेक भक्ति की है। फिर उस मानी अतिवीर्यको अपने मानका विचार आया। माने मालको नह हुमा समझ उसको वैराग्य उत्पन्ना के