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वीर्यके साथ युद्ध करनेका सामर्थ्य रखता है, जिससे वह अतिवीर्यकी सेवा करनेसे इन्कार करता है ?"
दूतने उत्तर दिया:-" अतिवार्य बहुत बलवान है। परन्तुं भरत भी उससे किसी प्रकार कम नहीं है। इसलिए कहा नहीं जा सकता कि, युद्ध में विजय किसकी होगी।" __ अतिवीर्यने दूतको यह कहकर रवाना किया कि, मैं अभी आता हूँ। फिर उसने रामचंद्रसे कहा:-" अहो ! अल्प बुद्धी अतिवायकी कितनी अज्ञानता है, जो मुझको वह भरतके साथ युद्ध करनेके लिए बुलाता है । अतः अब मैं बहुत बड़ी सेना सहित वहाँ जाकर भरतके साथकी सुहृदता और उसके साथ का वैर बताये विना ही भरतके शासनकी भाँति उसको मार डालूंगा।"
राम बोले:-" राजन् ! तुम यहीं रहो। मैं तुम्हारी, सेना और पुत्रों सहित वहाँ जाऊँगा और यथोचित करूँगा।" महीधरने स्वीकार किया।
फिर राम, लक्ष्मण और सीता सहित, महीधरके पुत्रोंको और उसकी सेनाको लेकर नंद्यावर्त पहुंचे।
उस नगरके उद्यानमें रामने सेनाका पड़ाव डाला। उस समय उस क्षेत्रका अधिष्ठायक देवता रामके पास बाया और बोला:-“हे महाभाग ! आपकी क्या इच्छा है ? जो हो सो कहिए । मैं तदनुसार करनेको