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२२६ जैन रामायण पाँचवाँ सर्ग ।
mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm उनसे जैन धर्म सुना । वह लघु कर्मी था, इसलिए तत्कालही उसपर धर्मोपदेशका प्रभाव हुआ और वह शुद्ध श्रावक बन गया। फिर घर आ, उसने अपनी पत्नीको भी, धर्म सुना, शुद्ध श्राविका बना लिया। __ पश्चात जन्मतः दरिद्रताकी अग्निसे दग्ध बने हुए वे
दम्पती रामके पाससे धन प्राप्त करनेकी इच्छासे राम'पुरीके पास गये । पहिले वे पूर्व द्वार वाले जिन मंदिरमें गये। वहाँ वंदना करके फिर उन्होंने रामपुरीमें प्रवेश किया। ___ अनुक्रमसे वे राज्य-ग्रहमें पहुँचे । राज्य-ग्रहमें प्रवेश करते ही, कपिलने राम, सीता और लक्ष्मणको पहिचाना। उसी समय उसने उनपर क्रोध किया था, उसका उसे स्मरण हो आया । इससे वह भीत होकर भग जानेका विचार करने लगा। ___ उसको भयभीत देख, लक्ष्मण दया कर बोले:-" हे द्विज ! तू भयभीत न हो। तू यदि याचक होकर आया है, तो यहाँ आ, और जो चाहिए वह माँग ले।" __सुनकर कपिलने निःशंक हो, रामके पास जा, आशीबर्वाद दिया। यक्षोंने उसको आसन दिया । वह उस पर बैठ गया। - रामने पूछा:-" तू कहाँसे आया है ? ".
उसने उत्तर दियाः-" मैं अरुण प्रामका रहनेवाला ब्राह्मण हूँ। क्या आप मुझको नहीं पहिचानते हैं ? आप