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सीताहरण ।
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देखा । वहाँ कुबेरपुरका 'कल्याणमाला' नामा राजाक्रीडा करनेको आया था। उसने लक्ष्मणको देखा । वह अति दुरात्मा कामदेवके बाणोंसे तत्काल ही बिध गया । ___ उसने लक्ष्मणको नमस्कार करके कहा:-"आप मेरेघर अतिथि बनिए।" __उसके शरीरमें काम विकारके चिन्ह और स्त्रीके लक्षण देखकर लक्ष्मणने सोचा-यह कोई स्त्री प्रतीत होती है, परन्तु किसी कारण वश इसने पुरुषका वेष धारण किया है। फिर कहा:-" यहाँसे थोड़ी ही दूरपर मेरे स्वामी अपनी स्त्री सहित बैठे हुए हैं; उनको भोजन कराये विना, मैं भोजन नहीं करूँगा।"
कल्याणमालाने भद्रिक आकृतिवाले और मधुरभाषी प्रधानोंको भेजकर राम और सीताको अपने यहाँ बुलाया। उन भद्र बुद्धी वालोंने जाकर राम और सीताको प्राणाम किया और आमंत्रण दिया। राम सीता सहित वहाँ गये। कल्याणमालाने उनको प्रणाम किया। फिर उसने उनके लिए एक तंबू खड़ा करवा दिया । रामने उसमें रहकर स्नानाहार किया।
तत्पश्चात कल्याणमाला, स्त्रीका वेष धारण कर अपने अन्य परिवारको छोड़, एक मंत्रीके साथ रामके पास गई । लज्जासे नम्र मुखवाली उस स्त्रीको रामने पूछा:--" हे