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________________ १२८ जैन रामायण तृतीय सर्ग। सब बातें कह सुनाई । सुनकर उसकी आँखों में भी आँसू आगये। वह बोला:-- " हे बाला ! मैं हनुपुरका राजा हूँ। मेरे पिताका नाम 'चित्रभानु ' और माताका नाम सुंदरीमाला है । —मानसवेमा' नामा तेरी माताका मैं भाई हूँ। सद्भाग्यसे तुझको जीवित देखकर मुझे प्रसन्नता हुई है। अब तू किसी प्रकारकी चिन्ता न कर।" उसको अपना मामा समझकर अंजना अधिकाधिक रोने लगा । 'श्ट-संबंधियोंको देखकर दवा हुआ दुःख प्राक पुनः उत्पन्न हो जाता है।" · रोती हुई देखकर प्रतिसूर्यने उसको, नाना प्रकारके आश्वासन देकर, रोनेसे रोका; फिर अपने साथ आये हुए. किसी दैवज्ञ (जोषी) से उसने उसके जन्मके विषयमें पूछ। जोपाने उत्तर दिया:-" यह बालक शुभप्रह, बलवाले, लपमें जन्मा है; इससे बड़ा भारी- पुण्यवानः सचा होगा और इसी भवमें सिद्ध पदवी पावेगा। ___ आज चैत्रमासकी कृष्णाष्टमी तिथी है और रविवारका दिन है। सूर्य उच्चका होकर मेष राशीमें पड़ा है। चंद्रमा अमरका होकर मध्य भवनमें स्थित है। मंगल मध्यम शेकर हक सव में आया है। कुद्ध मध्यतासे: मीन राशीमें बैठा मुक क्या हो कर कर्क राशी मका है। शनि भी मान
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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