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________________ हनुमानकी उत्पत्ति और वरुणका साधन । १०३ आज्ञासे मंत्री, अनेक विद्याधर कुमारोंके यथावस्थित स्वरूप कपड़ेपर चित्रित करवा करवाकर मँगवाने लगे और राजाको दिखाने लगे। अंजनाका पवनंजयके साथ ब्याहका निश्चय । __ एकवार किसी मंत्रीने 'हिरण्याभ' की पत्नी 'सुमन्तके ' उदरसे जन्मे हुए 'विद्युत्प्रभ ' नामके विद्याधरका और प्रह्लादके पुत्र पवनंजयका मनोहर स्वरूप चित्रित करके राजाको दिखाया। ___ उन दोनों चित्रोंको देखकर राजाने पूछा:-" ये दोनों स्वरूपवान और कुलीन हैं, इस लिए कुमारी अंजनासुंदरीके लिए इन दोनों से कौनसा वर पसंद करना चाहिए ?" __ मंत्रीने उत्तर दिया:-" हे स्वामिन् ! मुझे निमित्तियाने. बताया है कि, यह विद्युत्-बिजली-के समान प्रभावाला विद्युत्लभ अठारह वर्षकी आयु पूर्णकर मोक्षमें जानेवाला है और प्रह्लादका पुत्र पवनंजय दीर्घ आयुष्यवाला है। इसलिए अंजनासुंदरीके लिए पवनंजय ही योग्य वर है। . उस समय प्रायः सारे विद्याधर राजा अपने परिवारको लेकर बड़ी समृद्धिके साथ-धूमधामके साथ-नंदीश्वर द्वीपकी यात्रा करनेको जाते थे। उनमें महेन्द्र राजा भी था । उसको देखकर प्रह्लादने उससे अंजनासुंदरीको
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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