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शासन यक्ष
के अनुसार मातंग यक्ष द्विभुज है । अपराजितपच्छा ने भी इसे द्विभुज कहा है पर श्वेताम्बर चतुर्भुज कहते हैं । दिगम्बरों के अनुसार मातंगके दाये हाथ में शूल और बाये हाथमे दण्ड होता है ।' श्वेताम्बर अन्धो मे चार प्रायुध गिनाये गये है । त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित और प्रवचनसारोद्धार में दाये हाथों के प्रायुध बिल्व प्रौर पाश तथा बायें हाथो के आयुध नकुल और अंकुश कहे गये है । निर्वाणकलिका में भी इन्ही का उल्लेख है। किन्तु प्राचारदिनकर मे पाश के स्थान पर नागपाश का और नकुल के स्थान पर वज्र का विधान है' जो विशिष्ट बात है।
श्याम । विजय
अष्टम तीर्थकर चन्द्रप्रभ के यक्ष का नाम दिगम्बरो मे श्याम प्रौर श्वेताम्बरो में विजय प्रचलित है । विजय नामक यक्ष का नाम तिलोयपण्णत्ती में भी मिलता है । यद्यपि वह यक्ष सप्तम क्रमाक पर है तो भी इतना तो ज्ञात होता ही है कि पूर्व में विजय यक्ष का नाम दिगम्बरो की सूची में भी था। श्वेताम्बर बिजय यक्ष का वर्ण श्याम या हरित बताते है । दिगम्बरो का यक्ष भी श्यामवर्ण है । सभव है कि श्यामवर्ण होने के कारण यक्ष का नाम ती वैसा प्रचलित हो गया हो। श्याम यक्ष कपातवाहन ता पर विनय का वाहन हस है । श्याम चतुर्भुज है पर विजय द्विभुज । दाना ही मिनत्र है।
वमुनन्दि न श्याम के प्रायुध फल, अक्षसूत्र, परशु और वरद कह है।' पाशाधर पार नमिचन्द्र ने दाये और बाये हाथो के अलग-अलग प्रायुध बताये है । दाये हाथो में अक्षमाला प्रो र वरद तथा बायह था में परशु और फल ।' अपराजितपृच्छा में परशु, पाश, प्रभय पोर वरद, ये प्रायुध कहे गये है ।
१ प्रतिष्ठासारोद्धार, ३/१३५; प्रतिष्ठातिलक पृष्ट ३३३ । २. पन्ना ३५ । ३ उदय ३३, पन्ना १७४ । ४. प्रवचनमारोद्धार मे चतुर्भज । ५. प्रतिष्ठामारमंग्रह, ५/३० ६. प्रतिष्ठासारोद्धार, ३/१३६; प्रतिष्ठातिलक, पृष्ट ३३३