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________________ विद्यादेवियां ५६ सार यह विद्यादेवी चतुर्भुजा है किन्तु श्वेताम्बर परम्परा के प्राचारदिनकर पौर निर्वाणकलिका में देवी की भुजामों की संख्या के विषय में भिन्न मत प्रकट किये गये हैं । प्राचारदिनकर के कथनानुसार पुरुषदत्ता द्विभुजा है' किन्तु निर्वाणकलिकाकार उमे दिगम्बरों के समान चतुर्भुजा ही कहते हैं । प्राचारदिनकर में खड्ग और ढाल इन दो आयुधों का उल्लेख है जबकि निर्वाणकलिका के अनुसार इस देवी के दायें हाथों में से एक वरदमुद्रा में होता हैं और दूसरे हाथ में तलवार तथा बायें हाथों में मातुलिंग और खेटक होते हैं । २ दिगम्बर परम्परा में वज्र, कमल, शंख और फल ये चार प्रायुध बताये गये हैं । ३ दिगम्बर परम्परा में ही पुरुषदत्ता पंचम तीर्थंकर की यक्षी का भी नाम बताया गया है किन्तु उसका स्वरूप भिन्न प्रकार का है। काली ___ सप्तम विद्यादेवी काली का वर्ण श्वेताम्बरों के अनुसार कृष्ण और दिगम्बरों के अनुसार पीत है । दिगम्बरों के अनुसार इसका वाहन हरिण है पर श्वेताम्बर कमल पर आसीन कहते हैं। देवी चतुर्भुजा होती है । प्राचार दिनकर ने गदा और वज्र ये दो ही आयुष बताये हैं पर निर्वाणकलिका में दायें हाथों में प्रक्षसूत्र और गदा का तथा बायें हाथों में वज्र और अभय का विधान है ।" नेमिचन्द्र ने मुशल, तलवार, कमल और फल, ये चार प्रायुध कहे हैं । श्वेताम्बरों की सूची में चतुर्थ तीर्थंकर की और दिगम्बरों की सूची में सप्तम तीर्थकर की यक्षी का नाम भी काली है किन्तु उनके लक्षण इस विद्यादेवी से भिन्न प्रकार के हैं । महाकाली __ अष्टम विद्यादेवी महाकाली को अभिधानचिन्तामणि में महापरा तथा प्राचारदिनकर में महापरा और कालिका दोनों कहा गया है । यह संभवतः १. प्राचारदिनकर, उदय ३३, पन्ना १६२ २. निर्वाणकलिका, पन्ना ३७ । ३. नेमिचन्द्र, पृष्ठ २८६ । ४. उदय ३३, पन्ना १६२ । ५. पन्ना ३७ । ६. प्रतिष्ठातिलक, पृष्ठ २८७ ।
SR No.010288
Book TitleJain Pratima Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Jain
PublisherMadanmahal General Stores Jabalpur
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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