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विद्यादेवियां
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विद्यादेवियां सोलह मानी गयी हैं । उनके नाम इस प्रकार हैं, ९. रोहिणी, २. प्रज्ञप्ति, ३. वज्रशृंखला, ४ वज्रांकुशा, ५. जाम्बूनदा, ६. पुरुषदत्ता, ७. काली, ८. महाकाली, ६. गौरी, १० गांधारी, ११. ज्वालामालिनी, १२. मानवी, १३. बेरोटी, १४. अच्युता, १५ मानसी प्रोर १६. महामानसी । यह सूची दिगम्बर परम्परा के अनुसार है। श्वेताम्बर परम्परा में पांचवीं विद्यादेवी श्रप्रतिचत्रा या चक्रेश्वरी कही गयी है । श्रभिधानचिन्तामणि में' चक्रेश्वरी नामसे प्रौर पद्मानन्द महाकाव्य' में प्रतिचका नामसे उसका उल्लेख मिलता है । प्राठवी विद्यादेवी का नाम हेमचन्द्र ने महापरा बताया है' किन्तु श्वेताम्बर परम्परा के अन्य ग्रन्थ उसे महाकाली ही कहते हैं ।" ज्वालामालिनी का उल्लेख श्वेताम्बर ग्रन्थों में ज्वाला नाम से मिलता है । उन्ही ग्रन्थों में वैरोटी को वैरोट्या और अच्युता को अच्छुप्ता कहा गया है ।
विद्यादेवियों की सूची का शासन देवताओं की सूची से मिलान करने पर विदित होगा कि इन देवियों मे से प्रायः सभी को शासन यक्षियों की सूची
स्थान प्राप्त है यद्यपि शासन यक्षी के रूप में इनके प्रायुध, वाहन प्रादि भिन्न प्रकार के होते हैं। गौरी, वखाकुशी, वज्रशृंखला, वज्रगांधारी, प्रज्ञापारमिता, विद्युज्ज्वालाकराली जैसी देवियों की मान्यता बौद्ध परम्परा में भी रही है । वस्तुतः वज्रशृंखला और वज्जाकुशा जैसे नाम बौद्धों की तांत्रिक परम्परा से अधिक प्रभावित जान पड़ते है ।
रोहिणी
पोडश विद्यादेवियों में रोहिणी प्रथम है । यद्यपि दिगम्बर श्रौर श्वेताम्बर दोनों परम्पराम्रों में इसकी इसी नाम से मान्यता है, पर दोनों परम्पराम्रो
१. दवकाण्ड (द्वितीय) |
२. १ / ८३-८४ ।
३. अभिधानचिन्तामणि देवकाण्ड / आचारदिनकर ( उदय ३३) में भी महापरा नाम मिलता है ।
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४. निर्वाणकलिका, पन्ना ३७ ।
५. दिगम्बर परम्परा के विद्वानों द्वारा भी ज्वालिनीकल्प नाम से रचनाएं की गयी हैं ।