________________
( १३ )
राजा थयो, त्यों जय जय कार ॥ ७ ॥ इति ॥ ॥ अथ मांगलिक काव्यानि ॥
॥ मंगलं जगवान वीरो, मंगलं गौतमः प्रभुः ॥ मं गलं स्यूलिनशद्या, जैनो धर्मोऽस्तु मंगलं ॥ १ ॥ एक जंबु जग जाणियें, बीजा नेम कुमार ॥ त्रीजा वयर वखापियें, चोथा गौतम धार ॥ २ ॥ अंगूठे अमृत वसे, लब्धि तणो नंमार ॥ जे गुरु गौतम समरियें, मन वंचित फल दातार ॥ ३ ॥ प्रहीण महानिशि लब्धिः, केवलश्राः करांबुजे ॥ नामनीर्मुखे वाणी, तमहं गौतमं स्तुवे ॥ ४ ॥ इति काव्यानि ॥ लोगस्स काउस्सग्ग करवानो ॥
॥
|| लोगस्स नकोगरे, धम्म तिबयरे जिसे ॥ अरिहंते कित्तइस्स; चनवीसंपि केवली ॥ १ ॥ उस नमजियं च बंद, संनवमनिणंदणं च सुमई च ॥ पचमप्पदं सुपासं, जिणं च चंदप्पहं वंदे ॥ २ ॥ सुविहिं च पुष्पदंतं, सील सिद्धांस वासुपुऊं च ॥ विमलमांतं च जिणं, धम्मं संतिं च वंदामि ॥ ३ ॥ कुंथुं परं च मत्रिं वंदे मुणिसुवयं नमिजिणं च ॥ वंदामि रिहने मिं, पासं तह व माणं च ॥ ४ ॥ एवं म अनिथुआ, विदुयरयभला पहीण जरमर या ॥ चनवीसंपि जिवरा, तिबयरा मे पसीयंतु ॥ ५ ॥ कित्तिय वंदिय महिया, जे ए लोगस्स उत्त मा सिद्धा ॥ आरुग्ग बोहिलानं समाहिवरमुत्तमं दिंतु ॥ ६ ॥ चंदेसुनिम्मलयरा, बेसु हियं