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(एए) देव आठ वली तेनी साथ, शिवपद लीधुं हाथो हा थ॥ मघवा सनतकुमार सुर लोक, त्रीजे सुख विल से गतशोक ॥ १७ ॥ नवमो बलदेव ब्रह्म निवास, वासुदेव सद् अधोगति वास ॥ अष्टमो बारमो चकी साथ, प्रतिवासुदेव समा नरनाथ ॥ १७ ॥ सुरवर सुख शाता जोगवी, नारकी फुःख व्यथा अनुनवी॥ अनुक्रमें कर्म सैन्य जय करी, नर वर चतुरंगी सुख वरी॥ १५ ॥ सद्गुरु जागें दायिक नाव, दर्शन झान नवोदधि नाव । आरोही शिव मंदिर वसे, अ नंत चतुष्टय तव उनसे ॥२०॥लेशे अदय पद नि वाण, सि६ सवे मुज द्यो कल्याण ॥ उत्तम नाम जपो नर नार, स्वरूपचं लहे जय जयकार ॥ १ ॥ ॥अथ अजितजिन स्तवन ॥ निडीनी देशी॥
॥ उलंग अजित जिणंदनी, नवि कीधी हो जेणे एक वार के ॥ दश नपनय करी दोहिलो, पाम्यो पण हो एलें अवतार के ॥ नंग ॥१॥ असासय सासय इस्यो, कोइ कुमति हो देखाडे संद के ॥ पुत्र पिता गुरु शिष्यनो, केम तेहने हो घटशे संबंध के ॥ नलंग ॥ २ ॥ अदरथी जेम झाननो, गुण प्रगटे हो टले सयल विरु६ के ॥ तिम वाहाला जिनजी तणा, दरिसणथी हो होय देसण गुरू के ॥ तंग ॥ ३ ॥ परम साधन जिन सेवना, कोइ तेहमां हो कहे हिंसा दोष के ॥ गमन अशन गुरु वंदना, जल क्रमणादि हो किम कियापोष के ॥ उलंग ॥४॥