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सर्वे गया नासी ॥ सुखदायकना बो स्वामी, जीरे पल पल रूपी प्रत्रु अंतरजामी ॥ १ ॥ कवदेश प श्चिम धाम, जीरे पावन कीधां बे सुथरी गाम ॥ धन धन नाग्य उदय कीधां, जीरे पार्श्व प्रभुजीयें दर्शन दीघां ॥ २ ॥ घृतकल्लोल प्रत्र परताधारी, जीरे देरुं चणाव्यं प्रति नारी ॥ देश परदेशना संघ श्रावे, जी रे पूजा रचावे प्रभुजीनी जावें ॥ ३ ॥ यांगी रचावे घरी माला, जीरे रत्न करे बे रूडा ऊपकारा ॥ मुकुट कुंमल शिर बत्रधारी, जीरे चंकना शुभ ह ष्टितारी ॥ ४ ॥ जावी जावनाने प्रभु पूजो, जीरे नाथ विना देव नही दूजो ॥ प्रभु पूजेथी नवजल तरियें, जीरे नाम लेतां नव निधि वरियें || ५ || ढार बयाशी चैतर मास, जीरे पूनमें प्रभुजी पूज्या पास || प्रेमचंद गुरु ज्ञानी नावें, जीरें घृतकल्लोलजीना गुण गावे ॥ ६ ॥ ॥ अथ चंप्रनजिन स्तवनं ॥ राग काफी ॥
॥ चंदा प्रभुजीसें लाल रे, मोरी लागी लगनवा ॥ चंदा प्रभुजीसें० ॥ ए यांकणी ॥ लागी लगनवा बो डी न लूटे, जब लगे घटमें सास रे | मोरी० ॥ १ ॥ दान शियल तप जावना जावो, जैन धर्म प्रतिपाल रे | मोरी० ॥ २ ॥ हाथ जोड कर खरज करत वंदत शेठ खुशाल रे || मो० ॥ ३ ॥ इति ॥
॥ अथ कषन जिनस्तवनं ॥
॥ केशरिया वाला, जो लका राखशो तो रेहेशे ॥
॥ एकली ॥ साहेब कलिजुग केरा कूड कपटमें,