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जी ॥ बलवंत जिन बावीशमो, नवें नेट्यो भगवंतो जी ॥ नेम० ॥ १ ॥ श्यामलवर्ण सोहामणो, मुख सोहे पूनमचंद जी ॥ यादववंशी जग जयो, जेहने सेवे सुर नर दो जी ॥ नेम० ॥ २ ॥ पशु देखी पाठा वव्या, दिल दया बहु आणी जी ॥ जाल वि षय ऊंपी करें।, तजी राजिमती राणी जी ॥ नेम ० ॥ ॥ ३ ॥ समु विजयसुत सुखकरु, माता शिवादेवी मलारो जी ॥ दान संवत्सरी देई करी, पोहोता गढ गिरनारो जी ॥ नेम० ॥ ४ ॥ चोपन दिन चोखे चितें, प्रभु मौनपरों तप कीधो जी ॥ कर्म खपावी केवल नदी, जगमां बहु जश लीधो जी ॥ नेम० ॥ ॥ ५ ॥ समवसरण सुरपति रच्यो, प्राणी मन आणंदो जी ॥ त्रिगडो तेजें जगमगे, तिहां नाटक नव नव बंदो जी ॥ नेम॥ ६ ॥ योजन भूमि जगतगुरू, नचरे मृत वाणी जी ॥ नवोदधिशोषण जयहरु, जेहना गुण गावे इंझणी जी ॥ नेम ॥ ७ ॥ इम महीमंमल विचरता, अनेक जीव उद्धारया जी ॥ पोहोता बहु प रिवारj, मुक्ति मोहोल पधारया जी ॥ नेम० ॥ ८ ॥ विघ्नहरण नित वंदियें, राणी राजिमती जरतारो जी ॥ डुःख दारि दूरें हरे, कतारे नवपारो जी ॥ नेम० ॥ ए ॥ संवत सत्तर अग्यारोत्तरें, आशो बीज
जुखाली जी ॥ कहे जिनदास यात्रा करी, नेम हसी दीयो ताली जी ॥ नेम ॥१०॥ इति श्रीनेमिनाथ० ॥
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