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ज्ञान, २. अन्तःकरण की वृत्ति को कलुषित करने वाली मानसिक क्रिया ।
चूर्णिका - आगमी की व्याख्या - परक टीका ।
चूलिका - १. अर्थ की विशेष प्ररूपणा, २ ग्रन्थ का परिशिष्ट ।
चेतना - आत्मा का व्यक्तित्व ; जीव की कतृत्व भोक्तृत्व
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मूलक-शक्ति ।
चैत्य -- जिन मन्दिर ।
चैत्यवृक्ष - १. देवो के चिह्नभूत वृक्ष, २. वह वृक्ष जिसकी छाँह में तीर्थंकर की केवल्य लाभ होता है।
च्यवन - जन्मान्तर- प्राप्ति । एक जन्म से दूसरे जन्म में अवतार । च्यावित शरीर - आत्महत्या से छूटने वाला शरीर । च्युत शरीर - आयु पूर्ण होने पर स्वयमेव छूटने वाला शरीर ।
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