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घन-किमी राशि की तीन बार परस्पर गुणा । घनोदधि-पत्थर के समान कठोर जल समूह । घातीकर्म-जीव के ज्ञान, दर्शन आदि अनुजीवी गुणो का
विघात करने वाले ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय तथा
अन्तराय नामक कर्म । घ्राणेन्द्रिय-नाक , दुर्गन्ध-सुगन्ध का ग्राहक ।
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