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क्षुल्लक-ग्यारह प्रतिमाधारी उत्कृष्ट श्रावक की एक भूमिका।
ऐलक से नीचे की अवस्था । क्षेत्र-जीव एवं पुद्गलो का आवास । क्षेत्रकल्प-क्षेत्र सम्बन्धी अनुष्ठान । क्षेत्रह-छह द्रव्य स्वरूप लोक क्षेत्र का ज्ञाता । क्षेत्रपाल-क्षेत्र-रक्षक देव विशेष । क्षोभ-चारित्र-मोह ; निर्विकार और निश्चल चित्त की
एकाग्रता का विनाशक ।
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