________________
केवल सुख -- इन्द्रिय और मन से निरपेक्ष निराकुल आनन्द । केवली - केवलज्ञान आदि गुणो के धनी अहंत भगवान । केवलीमरण- निर्वाण ।
केवली समुद्घात -- केवली भगवान द्वारा अपने आत्म- प्रदेशों
का शरीर से वहिविस्तार |
केश लुंखन -- साधु का एक मूल गुण; बढाने के लिए वालों का लोच, क्रिया - १ शास्त्रोक्त विधि- अनुष्ठान,
सहिष्णुता की कमीटी केशोत्पाटन ।
२ वाह्य और आभ्यन्तर
परिस्पन्दन, हलन चलन रूप प्रवृत्तियुक्त द्रव्य की
अवस्था ।
क्रियाकाण्ड - नैमित्तिक विधि-विधान |
क्रीतदोष -- भिक्षा-दोप, साधु के निमित्त खरीदा गया भोजन आदि ।
क्रोध - क्रूर परिणाम, अपेक्षा की उपेक्षा ।
क्लेश- शारीरिक और मानसिक व्यथा ।
क्षण - स्तोक, एक परमाणु का दूसरे परमाणु में अतिक्रमण करने का समय ।
क्षपक - कपायो का क्षपण कर चारित्र - मोहनीय कर्म का क्षय करने वाला माधक ।
[ ४० ]