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संसृति - ससार देखें - संसार |
संस्कार - वासना
कर्मासव एवं शरीर धारण की परम्परा ।
धारणा
उत्पन्न एवं अन्य ज्ञान का कारण ।
स्मृति का आधार ; ज्ञान से
संस्तव - स्तुति, विद्यमान या अविद्यमान गुणो की वाणी द्वारा अभिव्यक्ति ।
संस्तार / संस्तारक - पौषध करने वाले भावक द्वारा बिछाने के लिए उपयोग किये जाने वाले डाभ, जुट, कुश, कम्बल, वस्त्र आदि के विछौने या आसन अथवा लकडी का
घाटा ।
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संस्थान--- आकार - विशेष अशुभ आकृति की रचना करने वाला संस्थान विचय- धर्म - ध्यान का एक भेद ; अवस्थाओं एवं आकृतियो का चिन्तन |
कर्म-विशेष ; शरीर की शुभ या
कर्म
लोक की विविध
संस्वेदज - त्रस का भेद; पसीने से उत्पन्न होने वाले जीव | जैसे लीख, जूँ आदि ।
संहनन --- हड्डियों की रचना ; अस्थियो की सन्धियों का कारणभूत कर्म ।
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