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(४०) देवेन्द्रस्तव ( ४१ ) गणि- विद्या
(४२) महा - प्रत्याख्यान
८४ आगमों की सूची
जैन परम्परा का इतिहास
१ से ४५ - पूर्वोक्त
४६ - कल्प-सूत्र ( पर्यूषणकल्प, जिन-चरित, स्थविरावलि, समाचारी )
दोनो जीत - कल्प
४७-
- यतिजीत - कल्प (सोमप्रभ सूरि )
४८ - श्रद्धाजीत - कल्प ( धर्मघोषसूरि )
४६ - पाक्षिक-सूत्र
{
५० -- क्षमापना - सूत्र
५१ - वंदितु
५२ -- ऋषि-भाषित
५३ ---अजीव - कल्प
५४ - गच्छाचार
५५- मरण- समाधि
५६ - सिद्ध- प्राभृत
५७ - तीर्थोद्गार
(४३) चतुःशरण
(४४) वीरस्तव
' (४५) संस्तारक
५८--आराधना-पताका ५६ - द्वीपसागर प्रज्ञप्ति ६० - ज्योतिप करण्डक
६१ - अंग - विद्या
६२ - - तिथि प्रकीर्णक
६३ - पिण्ड - विशुद्धि
६४ - सारावलि
६५ - पर्यन्ताराधना
६६ - जीव विभक्ति
६७ - कवच - प्रकरण
६८ --- योनि-प्राभृत
आवश्यक सूत्र के अग हैं ।
६६ - अगचूलिया
७० - वग्गचूलिया
७१ - वृद्ध चतु शरण
७२ -- जम्बू- पयन्ना
७१ – आवश्यक-निर्युक्ति
७४ - दशवेकालिक - निर्युक्ति ७५ --- उत्तराध्ययन-निर्युक्ति
७६---आचारांग - निर्युक्ति
७७ - सूत्रकृतांग - निर्युक्ति - सूर्य-प्रज्ञप्ति
७८
७६ -- बृहत्कल्प -निर्युक्ति
- व्यवहार
-05
८१ -- दशाश्रुतस्कघ - निर्युक्ति ८२ -- ऋपिभाषित- निर्युक्ति
८३ --- ससक्त निर्युक्ति
८४
( अनुपलब्ध )
विशेष आवश्यक भाष्य
८१