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१२२] जैन युम-निर्माता। हृदयसे यह कहा। विनोतामें भाज आनंदका सिंधु उमड़ पड़ा । प्रत्येक नागरिकका चेहरा हर्षसे झलक उठा था । + +
+ राजा दशरथका राजमहल हर्षगानसे गूंज उठा, उनके यहां भाज राम जन्म हुआ है।
राम जन्मका स्मव अवर्णनीय था, कौशल्याका हृदय इस उत्सवसे आनंद मग्न हो गया । यह उत्सव उस समय अपनी सीमाको उलंघन कर गया, जब जनताने रानी सुमित्राके भी पुत्र होनेका समाचार सुना.।
दोनों बालक राम लक्ष्मण अपनी बालक्रीडासे दशरथके प्रांगणको सुशोभित करने लगे।
कुछ समय जाने के बाद रानी केकईने पुत्र जन्म दिया, पुत्रका नाम भरत यावा गया। इस तरह रानी सुमित्राके द्वितीय पुत्र हुमा, जिसका नाम शत्रुघ्न पडा।
कला, बल, पुरुषार्थ विद्यावृद्धिके साथ २ चारों कुमार वृद्धि पाने लगे।
गुरु वशिष्ठ ने चारों कुमारको शस्त्र और शास्त्र विद्यामें अत्यंत कुशल बनाया ! उनके यशकी सुरभि देशके चारों कोने भाने लगी। ____मिथुला नरेश जनक इस समय मुख- मम दिख रहे थे, रानी विदेहाने एक पुत्र और पुत्रीको साथ ही जन्म दिया था। राजमहल में मानंदके नगाड़े बजने लगे, लेकिन संध्या समयका यह मानंद सवेरे तक स्थिर नहीं रह सकता । जो राजमहल संध्याके क्षीण प्रकाशमें दीपकोंसे नगमा उठा था, नृत्य और गानसे उन्मादित बन गया था