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३.४] जन युग-निर्माता।
वे राजमार्गसे जा रहे थे, इसी समय उन्होंने देखा कि रानाका प्रधान हामी विगड पहा है । महावतको जमीन पर गिराकर वह अपनी सूडको घुमाता दौड़ा आ रहा है। यमगजको ताह जिसे वह सामने पाता उसे ही चीरकर दो टुकड़े कर देता था। उपकी भयंकर गर्जना सुनकर ना की जनता भयसे व्याकुल होकर इधर उधर भागने लगी। मदोन्मत्त हाथी जम्बूकुमारके निकट पहुंच गया था। वह उन्हें अपनी सूरमें मानेका प्रयत्न कर ही रहा था कि उन्होंने उसकी सूंड पर एक भयानक मुष्टिका प्रहार किया। वजकी तरह मुष्टि के प्रहारसे हाथी बड़े जोसे चिंघार उठा। फिर उन्होंने अपने हाथके सुदृढ़ दंडको घुमाकर उसके मस्तक पर मारा। मस्तक पर दंड पड़ते ही उसका सारा मद चू। चू हो गया । वह नम्र होकर उनके सामने स्वहा हो गया । मदोन्मत्त हाथी अब बिलकुल शान्त था।
नगरकी संपूर्ण निना भयभीत दृष्टि में यह सब दृश्य देख रही थी। हाश्रीको निर्मद हुभा देख सभी के हृदय इपसे खिल गए । उनके सिम्से एक भयानक संकट टल गया ।
जनताने जम्बूकुमा के इस साहसकी प्रशंसा की और गजा विसारके राज्य दरबारसे इस वीरता के उपलक्ष्य में उन्हें योन्य सम्मान मिला।
जम्बूकुमारकी वीरता १० नगरका धनि के श्रेष्ठी समाज मुग्य था। प्रत्येक घनिक उनके साथ अपना संबंध स्थ पित करनेको इन्ठुरू था। मुन्दरी कन्याएं उनका स्नेह पानेको लालयिर थी।
जंबूकुमार वैदिक धन नहीं पड़ना चाहते थे : उवका