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(१९) महापुरुष जम्बूकुमार। (वीरता और त्यागके आदर्श)
(१)
विक्रम संवतसे ५१० वर्ष पहिलेकी बात है यह । उस समय मगध देशमें राजा बिंचसाका राज्य था। राजगृइ उनकी राजधानी थी। उसी राजगृही में अईदत्तजी राज्यके सुपसिद्ध श्रेष्ठी थे । उनकी धर्मपत्नी जिनगती थी । वीर जम्बृकुमार इन्हींके पुत्र थे।
प्रसिद्ध विद्वान् । विमलराज' के निकट उन्होंने विद्याध्ययन किया था। पूर्वजन्म के संस्कारके कारण वे अत्यंत प्रतिभाशाली थे। विमल राजने अपने मुयोग्य शिष्यको थोड़े ही समयमें शास्त्र संचालनमें निपुण बना दिया था। उच्च कोटि के साहित्यका अध्ययन भी उन्हें कराया था। वे मरने विद्वान् गुरुके विद्वान् शिष्य थे।
बाळकपनसे ही वे बड़े साहसी और वीर थे। उनका सुगठित शरीर दर्शनीय था। एक समय उनके साहसकी मच्छी परीक्षा हुई।