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________________ ( २०८ ) चाहिए । जैसेकि पुष्पों की माला, पुष्पशय्या, पुष्पों का पंखा, पुष्पों का मुकुट इत्यादि कार्यों के वास्ते पुष्पों की जाति तथा पुष्पों का परिमाण करना चाहिए। वाहनविधि परिमाण-इस परिमाण में यावन्मात्र गमन करने के साधन हैं। जैसे-मोटर, गाडी, रेलगाड़ी, यान, शकट, आकाशयान, वायुयान, यानपात्र, अश्वयुक्त यान,वृषभयुक्तयान, इत्यादि इन सब वाहनों का परिमाण करना चाहिए। शयनविधि परिमाण-खाट, कुरसी, पाद, पीठ इत्यादि पदार्थों का परिमाण करे। शयन उसे ही कहते हैं जिसपर सुखपूवर्क बैठा जाय। १० विलेपनविधि परिमाण-अपने शरीर पर विलेपन करने के लिए जो चन्दनादि तथासावुनादि पदार्थ तथा अंग मर्दनादि के लिये तेलादि पदार्थ उपयुक्त किये जाते हैं उन सब पदार्थों का परिमाण करना चाहिए। सारांश यह है कि-मस्तकादि की सुन्दरता के वास्ते यावन्मात्र कार्य किये जाते हैं तथा यावन्मात्र तैलादि पदार्थ हैं उन सब का परिमाण नित्यंप्रति कर लेना चाहिए। इस नियम में अंजन (सुरमा) वा दर्पण आदि का भी परिमाण किया जाता है । ११ ब्रह्मचर्यनियम-दिन को मैथुनकर्म का तो श्रावक सर्वथा परित्याग करदे और रात्रि का परिमाण करना चाहिये । यद्यपि परस्त्री और वेश्या तथा कुचेष्टा कर्म का पूर्व ही पारत्याग किया हुआ होता है तदपि अपनी स्त्री के साथ भी रात्रि में परिमाण से बाहिर काम क्रीड़ादि नहीं करनी चाहिए। १२ दिग् परिमाण-अपने ग्राम वा नगरादि से वाहिर जाने का यावन्मात्र परिमाण किया गया हो उस परिमाण को उसी प्रकार पालन करना चाहिए । लेकिन इसका परिमाण करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रख लेना चाहिए कि-मैं ही नहीं जाऊंगा अपितु अन्य को भी इस परिमाण से बाहिर नहीं भेजूंगा। १३ स्नानविधि परिमाण इस परिमाण में श्रावक लोग स्नान करने का परिमाण करते हैं। क्योंकि श्रावक को स्नान करने का सर्वथा नियम (त्याग) नहीं होता। हां-श्रावक को दिन में वा रात्रि में स्नान कितनी वार वा कितने जल से तथा कूप वापी तडाग आदि के जल में स्नान करने का परिमाण करना चाहिए। इसी प्रकार जुद्र नदी वा महानदी आदि के विषय में भी जानना चाहिए। १४ भात पानी का परिमाण-इस नियम में अन्न पानी और खाद्य पदार्थों के वज़न का परिमाण करना चाहिए । इस का सारांश यह है किअपने शरीर की अपेक्षा यावन्मात्र पदार्थ भक्षण करने में आते हों उनके परि.
SR No.010277
Book TitleJain Tattva Kalika Vikas Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages335
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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