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मृत्तिका द्रव्य है और घट उसका एक पर्याय है । घट मिट्टी से होता है, उसके बिना नही होता - इस पेक्षा से वह मिट्टी से अभिन्न है । घटाकार परिणति पूर्व मिट्टी में घट की क्रिया (जल -धारण) नही हो सकती, इस अपेक्षा से वह मिट्टी से भिन्न भी है । 12 घट कार्य है और मिट्टी उसका उपादान कारण है 1 द्रव्य और पर्याय मे भेदाभेद सम्वन्ध होता है, अत कार्य-कारण मे भी भेदाभेद सम्बन्ध होता है ।
8 एक और अनेक का प्रविनाभाव
सोमिल ने पूछा 'भते ।
'सोमिल | मैं द्रव्य की अपेक्षा से एक हू, ज्ञान और दर्शन की अपेक्षा से दो हू । प्रदेश (द्रव्य का घटक अवयव) की अपेक्षा से अक्षय, अव्यय और अवस्थित हू । परिणमनशील चैतन्य - व्यापार (उपयोग ) की अपेक्षा से मैं अनेक 120
एक-अनेक, सामान्य-विशेष और नित्य-अनित्य-इन सबके मूल मे द्रव्य और पर्याय हैं । द्रव्य एक और पर्याय अनेक होते है । द्रव्य सामान्य और पर्याय विशेष होते है । द्रव्य नित्य और पर्याय अनित्य होते है । सामान्य दो प्रकार का होता है - तिर्यक् सामान्य और ऊर्ध्वता सामान्य 122
'मैं एक हू'यह तिर्यक् सामान्य है | इसमे एकत्व अन्वय या ध्रुवत्व की अनुभूति है । 'मैं चैतन्य - व्यापार (उपयोग ) की अपेक्षा से अनेक हू'यह ऊर्ध्वता
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आप एक है या अनेक ?"
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सन्मति प्रकरण, 3/52
नत्यि पुढवीविसिठ्ठी घडो तिज तेण जुज्जइ अण्णो ।
ज पुरण घडोति पुव्व र असि पुढवी तो प्रणो ॥
भगवई 18/219,220 .
एगे भव ? दुवे भव ? શ્રણ મૂચમાવદ્િ ભવ सोमिला | एगे वि श्रह जाव अगभूयभावभविए वि श्रह ।
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अक्खए भव अव्वए भव अवट्ठिए भव ?
से केराट्ठे ण भते । एव पुच्चइ.
सोमिला | दव्वट्टयाए एगे अह, नारद सरणट्टयाए दुविहे श्रह, पएसठ्ठयाए अक्सर विश्र, श्रव्वए वि श्रह, उवयोगट्टयाए अगभूयभावमविए वि श्रह ।
प्रमाणनयतत्वालोक, 5/3
સામાન્ય દ્વિપ્રારતિયંજ્ઞામાન્યમૂતાસામાન્ય( 1
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