________________
( 35 ) कहता है - मैने इस पन मे सिंह को देखा है तो हमे प्रत्यक्ष दर्शन और अनुमान के बिना भी वन मे सिंह के होने का बोध हो जाता है। केवल लोकोत्तर प्राप्त है। उसके वचन से भी हमे अ६ष्ट और अननुमित विषय का वोध होता है।
केवली जो कहता है वह उसका वाक्-प्रयोग है। हम उसके वचन के आधार पर अर्यवोध करते हैं, वह हमारा मावश्रु त है। केवली का वचन हमारे भावत का निमित्त बनता है इसलिए वह द्रव्यश्रुत है ।
000