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नियुक्तिकार ने पाच तथा दस अवयवो के प्रयोग का भी निदग किया है ।12 इस प्रकार नियुक्तिकार ने अवयव-प्रयोग के पाच विकल्प निदिष्ट किए हैं
अवयव
हेतु
दृष्टान्त
हेतु
प्रतिनी * प्रतिना પ્રતિજ્ઞા प्रतिमा
प्रतिना उदाहरण * हेतु
પ્રતિજ્ઞાવિશુદ્ધિ પ્રતિજ્ઞાવિમરજી * उदाहरण
हेतु उपमहार હેતુવિશુદ્ધિ હેતુવિમm दृष्टान्त
વિપક્ષે દષ્ટાન્તવિશુદ્ધિ प्रतिषेध उपसहार
દૃષ્ટાન્ત પસંહારવિશુદ્ધિ प्राशका निगमन
तत्प्रतिपेध
નિમર્તાવિશુદ્ધિ નિયમન सिद्धसेन ने पक्ष, हेतु और हटान्त-5न तीन अवयवो के प्रयोग की चर्चा की है। मामान्यत प्राय भी ताकिको ने स्वार्यानुमान मे प्रतिजा और हेतु इन दो अवयवो का तथा परार्थानुमान मे उन दो के अतिरिक्त मन्दमति को व्युत्पन्न करने के लिए दृष्टान्त, उपनय और निगमन का भी प्रयोग स्वीकृत किया है। वादिदेवसूरी ने बौद्धों की भाति केवल हेतु के प्रयोग का भी समर्थन किया है ।
मान्य की सिद्धि के लिए उम (माच्य) का निर्देश करना प्रतिमा है, जमे पर्वत अनिमान है।
माध्य की मिद्धि के लिए मावन का निर्देश करना हेतु है, जैसे क्योकि वह। चूम है।
माथ्य के समान किमी प्रदेश का निर्देश करना हटान्त या उदाहरण है जहाजहा घृम होता है वहा-वहा अग्नि होती है, जैसे - रसोईघर ।।
साधन-धर्म का माव्य-धर्मी मे उपमहार करना उपनय या उपमहार है, जमे-पर्वत धूमयुक्त है। 12 दशवकालिक नियुक्ति, या 50
करय पचावयव दसहा वा मवहा न पहिसिद्ध । न च पुग म०व मार हदी सविधारमसाय ॥