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________________ जैन-क्रियाकोष | विधि झूठ तनों परिहार सो है सत्य महागुणसार ॥ प्रथम असत्य तजौ बुध है, वस्तु छतीकू मछती कहै। दूजे अछतीकों जो छती, भाषै अविवेकी हतमती ॥ तीजे कहै और सों और विरथा मूढ़ करें झकझौर । चौथे झूठ तर्ने त्रय मेद, गर्हित साबद प्रीन उच्छेद || ए सब कृत कारित, अनुमंत, मन वच तन करि तज गुनवंत । चुगला-चाटी परकी हासि, कर्कश बचन महा दुखराशि || विपरीत न भाषौ बुधिवान सबद तजौ अन्याय सुमान । बचन प्रलाप विलाप न बोलि, भजि जिन नायक तजि सहुभोलि भाषौ मत उतसूत्र कदेह, मिथ्यातमसो तजौ सनेह । ये सब गर्हित बचन तजेह, जिनसामनकी सरघा लेह ॥ बहुरि सबै सावद्य अजोग, बचन न बोलौ सुबुधी लोग । छेदन भेदन मारण आदि, त्यागौ अशुभ बवन इत्यादि ॥ चोरी जोरी डाका दौर, उपदेश पाप सिरमौर । हिंसा मृषा कुशील विकार, पाप बचन त्यागौ व्रतधार ॥ खेती विणज विवाह जुआदि, वचन न बोलै बूती अनादि । तजहु दोषजुत बानी भया, बोलहु जामे उपजै दया || ए सावध वचन तजि धीर, तजि अप्रीति वचन वर वीर । સદ रवि करन भय करन न बोल, शोक करन त्यागौ तजि भोल कलह करन अघ करन तजेह बैर करन वाणी न भजेह । ताप करन पर पाप प्रधान, त्यागे वचन महा मतिवान || मर्मछेको बचन न कहौ, जो अपने जियको शुभ वहौ । इत्यादिक जे व्यप्रिय चैन, त्यागहु सुन करि मारग जैन ॥ 2
SR No.010271
Book TitleJain Kriya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatram Pandit
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size7 MB
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