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________________ स जैन-क्रियाकोष। ManANIArnama सातरा नेमके नाम उकच श्रावकाचारे--- भोजने षटरसेपाने, कुंकुमादिविलेपने । पुष्पताबूलगीतेषु, नृत्यादौ ब्रह्मचर्यके ॥१॥ स्नानभूषणवत्रादौ, वाहने शयनाशने । सचित्तवस्तुसख्यादौ, प्रमाण भज प्रत्यहम् ॥२॥ चौपाई-भोजनकी मरजादा गहै, वारंबार न भोजन लहै । पर घर भोजन तोहि जु करें, प्रात समै जो संख्या धरै।८१ अन्न मिठाई मेबा आदि, भोजन माहि गिने जु अनादि।। बहरि चवेणी अर पकवान, भोजन जाति कहे भगवान 1cal सब मरजादा माफिक गहै, बारबार ना लीयौ चहै। षट रसमें राखे जो रसा, सोई लेय नेममे बसा ।। और न रस चाखौ बुधिवन्त, इह आज्ञा भाषे भगवन्त । कामउदीपक हैं रमजाति, रस परित्याग महातप भाति ।। जो रसजाति तजी नहिं जाय, करि प्रमाण जियमें ठहराय । पानी सरबत दूधरु मही, इत्यादिक पीवेके सही ।। तिनमे लेवौ राखै जोहि, ता माफिक लेवौ बुध सोहि । चोवा चन्दन तेल फुलेल, कुकुम और अरगना मेल ।।२। औषधि आदि लेप है जेह, संख्या विन न लगावै तेह । जाने येह देह दुरगन्ध, वाके कहा लगावै सुगन्ध । जो न सर्वथा त्यार वीर, तोहु प्रमाण गृहै नर धीर । पहुप जाति सो छाड़े प्रेम अति दोषीक कहे गुरु एमा भोग उदै जो त्यागि न सके, थोरे लेप पाप तें सके। पान सुपारी डोढ़ा आदि, लोंगादिक मुखसोध अनादि ॥१५॥
SR No.010271
Book TitleJain Kriya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatram Pandit
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size7 MB
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