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________________ प्रबन्धत्व और कथानक-स्रोत १२९ कवि अधिकारिक कथावस्तु में चाहे वह घटना प्रधान हो या व्यक्ति प्रधान, ऐसी अन्तर्कथाओं को स्थान दे सकता है, जिनसे कथानक सुसंतुलित और सुसमन्वित बना रहकर कार्यान्विति में सहायक हो सके । । कार्यान्विति के बिना घटनाचक्र का कोई मूल्य नहीं होता । यही कारण है कि कार्यसिद्धि के लिए कथावस्तु आदि, मध्य और अवसान का स्पष्ट रूप धारण करती हुई पूर्णता को प्राप्त होती है । कथा के आदि, मध्य और अवसान में पूर्ण संतुलन एवं सामंजस्य की आवश्यकता होती है। इसके अभाव में कार्य का निर्वाह कठिन पड़ता है । कथावस्तु के आदि में कार्य का जन्म, मध्य में उसका विकास और अन्त में उसकी पूर्णता होती है। मार्मिक स्थल यद्यपि प्रबन्धकाव्य इतिवृत्त-प्रधान काव्य होता है; किन्तु मात्र इतिवृत्तविधान से पद्य-बद्ध इतिहास का सृजन हो सकता है, काव्य का नहीं । इतिवृत्त अपने आप में शुष्क और नीरस होता है, उसमें रसपूर्ण प्रसंगों की उद्भावना से ही रसवत्ता आती है। इतिवृत्त प्रबन्ध का स्थूल ढाँचा है, उसमें सूक्ष्म प्राण फूंकने का काम उसके वे रसात्मक प्रसंग करते हैं जो कथा के मध्य हृदय को रमाने के लिए बीच-बीच में रखे जाते हैं । ये रसात्मक प्रसंग ही काव्य के रमणशील या मर्मस्पर्शी स्थल कहलाते हैं। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा है, 'जिनके प्रभाव से सारी कथा में रसात्मकता आ जाती है वे मनुष्य जीवन के मर्मस्पर्शी स्थल हैं जो कथा के बीच-बीच में आते रहते हैं। यह समझिये कि काव्य में कथावस्तु की गति इन्हीं स्थलों तक पहुँचने के लिए १. आधिकारिक वस्तु भी दो प्रकार की होती है-(१) घटना प्रधान और (२) व्यक्ति प्रधान । जिन कवियों की दृष्टि किसी मुख्य घटना पर होती है उनका वस्तु-विन्यास उस घटना के उपक्रम के रूप में होता है, जैसे- पद्मावत, रघुवंश, बुद्धचरित आदि । जिनकी दृष्टि व्यक्ति पर होती है उनमें नायक के जीवन की सारी मुख्य घटनाओं का वर्णन -~गौरव-वृद्धि या गौरव-रक्षा के ध्यान से अवश्य कहीं-कहीं कुछ उलटफेर के साथ होता है, जैसे—कुमारसम्भव, शिशुपालवध आदि। -पं० रामचन्द्र शुक्ल : जायसी ग्रन्थावली, भूमिका, पृष्ठ ७३ ।
SR No.010270
Book TitleJain Kaviyo ke Brajbhasha Prabandh Kavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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