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कविवर बनारसीदास
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समय उन्होंने नवरस पूरित श्रृंगार ग्रंथ की विशेष रूप से रचना की। उनकी यह रचना मित्रों के हृदय को आकर्षित करनेवाली थी उसमें अलंकार और रसों की अनूठी छटा अवश्य होगी किन्तु अधिक समय तक आपके मन पर उसका प्रभाव नहीं रह सका
और उसपर विवेक की छाप पड़ते ही वह गोमती के गर्त में विलीन कर दिया गया। उसमें कविवर की काव्य प्रतिभा का चमत्कार अवश्य होगा किन्तु वह सदैव के लिए नष्ट हो जाने के कारण उसके संबन्ध में कुछ नहीं कहा जा सकता । प्रवुद्ध होने के पश्चात् कविवर ने आत्म अनुभूति मय अपनी जिस काव्य प्रतिभा को प्रवाहित किया है वह उनकी एक अमूल्य संपत्ति है।
आध्यात्मिक जैसे शुष्क विपय को कवि की प्रतिभा ने सरस और सर्व ग्राह्य बना दिया है उसके प्रत्येक पद्य में कवि की लेखनी का अद्भुत चमत्कार भरा हुआ है।
कविवर बनारसीदासजी की रचनाएं
कविवर बनारसीदासजी द्वारा निर्माण किए हुए नाटक समयसार, बनारसी विलास, नाममाला और अर्द्धकथानक ये चार ग्रन्थ प्रसिद्ध हैं। ये चारों ग्रंथ उनकी काव्य रचना के श्रेष्ठ प्रमाण हैं।
इसके अतिरिक्त बनारसीदासजी ने शृंगार रस पर भी एक बड़ा सुन्दर ग्रंथ लिखा था परन्तु विचारों में परिवर्तन हो जाने के कारण आपने उसे गोमती नदी की विशाल धारा में भेंट कर दिया था।