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भैया भगवतीदास
१६३ mom ........ ..............womenwwwwwwwwwwwm अनादि लगी जेहरी जु देखत ही खेहरी,
तू यामें कहा लेहरी कुरोगन की दरी है। काम गज केहरी, सुराग द्वेष के हरी,
तू तामें उग देहरी जो मिथ्या मति दरी है।
यह शरीर जड़ है, अवगुणों का भंडार है महान दुःखों से भरा हुआ है तू इससे स्नेह मत कर ।
. इससे स्नेह करने से कर्म का कभी अंत नहीं आता वे बड़ा दुःख पाते हैं जो इससे प्रीति रखते हैं।
____ यह रोगों का घर तेरे साथ अनादि से लगा हुआ है यह देखने के लिए खाक का पुतला है इससे क्या लाभ लेगी।
हे सुबुद्धि जो कामदेव हाथी के लिए सिंह के समान हैं, जिन्होंने राग देश को नष्ट कर दिया है और जो मिथ्या बुद्धि का दलन करने वाले हैं उन्हीं में तू अपनी दृष्टि लगा। राजा के परजा सव चेटा बेटी के समान,
यह तो प्रत्यक्ष वात लोक में कहान है। श्राप जगदीस अवतार धरयो धरनी पै,
कुंजनि में केल करी जाको नाम कान्ह है ॥ परमेश्वर कर पर वधू सों अनाचार,
कहते न आवै लाज ऐसो ही पुरान है। अहो महाराज यह कौन काज मत कीनो,
जगत के डोविवे को झूठो सरधान है। यह कहावत संसार में अत्यंत प्रसिद्ध है कि राजा को सारी प्रजा पुत्र और पुत्री के समान होती है।
परमेश्वर होकर पर नारियों के साथ अनाचार करते हैं यह कहते लज्जा नहीं आती ऐसी हो बातों से पुरान भरा है।