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पधारो भगवान महावीर विश्व का करने को कल्याण ( रचयिता-अनूपचन्द जैन, न्यायतीर्थ जयपुर)
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तुम्हारा अभिनन्दन हे वीर ! अहिंसा साक्षात् अवतार तुम्हारा शत शत वंदन नाथ
सत्य की सुखद मूर्ति साकार ।। तुम्हारा विश्व शाति के दूत नाम से होता है सम्मान ।। पधारो ।।
जन्म ले कुण्डलपुर में देव! बने सिद्धारथ राजकुमार कहाये महावीर अति वीर
मिटा कर विषधर की फुकार ॥ अल्प वय में ही सन्मति आप हो गये थे प्रकाण्ड विद्वान |पधारो।
जगत परिवर्तन शील विचार! चले वन छोड़ राजसी ठाठ तोड़कर जन परिजन से मोह
पढ़ाने सत्य अहिंसा - पाठ ।। दिखाने सीधा सच्चा मार्ग करे जो स्व पर का कल्याण |पधारो॥
स्वयं हो आत्म साधना लीन ! किया उस दिव्य ज्योति को प्राप्त मिला सुख दर्शन ज्ञान अनन्त हो गये आप्त पूर्ण पर्याप्त ।।
रहा कुछ नहीं जाना शेष दिया तय यह संदिश महान पधारो।