SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४० जैन कथानो मे सास्कृतिक अध्ययन सुन्दर एव वलिष्ट अश्वो की ओर यहाँ राजा-महाराजाओ का अधिक आकर्षण था। कुछ ऐसी भी प्राकृत एव अपभ्र श जैन-कथाएँ उपलब्ध होती है जिनसे विदित होता है कि जहाजो द्वारा भेजे गए एव लाए गए माल की वन्दरगाहो पर पूरी जाच होती थी और कर की वसूली कठोरता से की जाती थी। जो माल राजाज्ञा के अभाव मे इधर-उधर भेजा जाता था, जाच करने पर वह जब्त कर लिया जाता था एव सम्बन्धित व्यापारी को निययानुसार दडित भी किया जाता था। इन सामूहिक यात्राओ ने हमारी सस्कृति एव सभ्यता को भी प्रभावित किया था। वाह्य देशो के सम्पर्क से हमारी विचार-धारा परिपुष्ट हुई थी एव सकुचित मान्यताप्रो मे विकास की भावनाएँ अकुरित हुई थी। इस प्रकार व्यापारिक अभिवृद्धि के साथ-साथ इन सागर-यात्रायो के माध्यम से हमारी सास्कृतिक गरिमा भी दूरस्थ देशो मे प्रतिष्ठित हुई ।
SR No.010268
Book TitleJain Kathao ka Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy