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जैन कथानो का सास्कृतिक अध्ययन
जैसा कि पूर्व मे सकेत किया जा चुका है, जैन कवियो के समान ही जैन कथाकारो ने जीवन के समस्त रूपो को चित्रित कर उन पर विरक्ति का गहरा रग शान्ति-तूलिका से इस प्रकार किया है कि 'शम' के चित्र सर्वत्र उभर कर सुशोभित हो रहे हैं ।
'जैन कवियो पर यह आरोप लगाया जाता है कि उनमे जीवन-विरक्ति वहुत अधिक मात्रा मे है । डॉ० रामकुमार वर्मा ने इसी की ओर सकेत करते हुए लिखा है कि साधारणतया जैन साहित्य मे जैन धर्म का ही शान्त वातावरण व्याप्त है, सत के हृदय मे शृगार कैसा ? जैन काव्य मे शान्ति या शम की प्रधानता है अवश्य, किन्तु वह प्रारभ नही परिणति है । सभवत पूरे जीवन को शम या विरक्ति का क्षेत्र बना देना प्रकृति का विरोध है । जैन कवि इसे अच्छी तरह से जानता है, इसलिये उसने शम या विरक्ति को उद्देश्य के रूप मे मानते हुए भी सासारिक वैभव, रूप, विलास और कामामक्ति का चित्रण भी पूरे यथार्थ के साथ प्रस्तुत किया है । जीवन का भोग पक्ष इतना निर्बल तया सहज आक्राम्य नही होता, इसका आकर्पण दुर्निवार्य है, आसक्ति स्वाभाविक, इसीलिए साधना के कृपाण पथ पर चलने वालो के तिए यह और भी भयकर हो जाते है । सिद्ध साहित्य की अपेक्षा 'जैन साहित्य मे रूप सौन्दर्य का चित्रण कही ज्यादा बारीक और रगीन हुआ है, क्योकि जैन धर्म का मस्कार रूप को निर्वाण प्राप्ति के लिए सहायक नही मानना, रूप अदम्य आकर्पण की वस्तु होने के कारण निर्वाण में बाधक है-इस मान्यता के कारण जैन कवियो ने गार का वडा ही उद्दाम वासनापूर्ण और क्षोभकारक चित्रण किया है, जड पदार्थ के प्रति मनुष्य का आकर्षण ' जितना घनिष्ठ होगा, उससे विरक्ति उतनी ही तीव्रः। शमन शक्ति की महत्ता का अनुमान तो इन्द्रिय भोग-स्पृहा की ताकत से ही किया जा सकता है । नारी के शृगारिक रूप, यौवन, तथा तज्जन्य कामोत्तेजना आदि का चित्रण इसी कारण बहुत सूक्ष्मता से किया गया है । जैन-कवि पौराणिक चरित्रो मे भी सामान्य जीवन की स्वाभाविक प्रवृत्तियो की ही स्थापना करता है । उसके चरित्र अवतारी जीव नही होते इसीलिए उनके प्रमादि के चित्रण देवत्व के पातक से कभी भी कृत्रिम नही हो पाते । वे एक ऐसी जीवात्मा का चित्रण करते है जो अपनी आतरिक शक्तियो को वशीभूत करके परमेश्वर पद को प्राप्त करने के लिए निरन्तर सचेण्ट है। उसकी ऊर्ध्वमुखी चेतना आध्यात्मिक वातावरण मे साँस लेती है, किन्तु पक से उत्पन्न कमल की तरह उसकी जड सत्ता सासारिक वातावरण से अलग नही है । इसीलिए ससार के अप्रतिम