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जैन कथाओं में लोक विश्वास
जैन कथाओ मे लोक विश्वासो का भी अनेक रूपो मे चित्रण हुआ है । स्वप्नो के सम्बन्ध मे इन कथाओ मे अधिक चर्चा हुई है । कहा जाता है कि आगामी घटनाओ का सकेत स्वप्नो के माध्यम से सहज ही मे मिल जाता है । ये स्वप्न ही होने वाले लाभ लाभ का परिचय दे देते है । देवी-देवता अपने भक्तो की सफलता एव असफलता का निर्देश स्वप्नो के द्वारा ही किया करते है । जैन विद्वान भलीभांति जानते है कि जब कोई तीर्थ कर किसी भाग्यवती नारी के गर्भ मे आते है तब उस पुण्यवती ललना को १६ स्वप्न आते है जिनके फलो को सुनकर वह स्वयं को भाग्यशालिनी मानती है और शीघ्र ही तीर्थ कर की जननी बनने की प्रतीक्षा करने लगती है । इन स्वप्नो की तालिका इस प्रकार है - ( १ ) श्वेत हाथी ( २ ) श्वेत बैल (३) सिंह (४) लक्ष्मी (५) मालायुग्म ( ६ ) चन्द्र (७) सूर्य (८) मीन युग्म ( 2 ) कुम्भ युग्स ( १० ) निर्मल सरोवर (११) समुद्र (१२) सिंहासन (१३) विमान (१४) हर्म्य (१५) रत्नराशि न का फल यही है कि महापुण्यवान् विश्व-विश्रुत देवाधिदेव लोक-पूज्य श्री तीर्थ कर देव जन्म लेगे । पुण्याश्रव कथा कोश - पृष्ठ ३३४
(१६) अग्नि । ` इन स्व
राजा चन्द्र गुप्त ने किसी रात्रि के पिछले पहर में निम्नस्थ स्वप्न देखे थे—
(१) सूर्य का अस्त होना ( २ ) कल्प वृक्ष की शाखा का टूटना ( ३ ) आते हुए विमान का लौटना ( ४ ) वारह फरर्णो का सर्प ( ५ ) चन्द्रमा मे