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जैन कथाओं में ऐतिहासिकता
इतिहासकारो ने कथानो की उपयोगिता को स्वीकार किया है। कई देशो के इतिहासो की सृष्टि तो इन कथाओ के आधार पर ही हुई है । लोकमानस मे बसी हुई ये कथाएँ निष्पक्ष भाव से इतिहास के तथ्यो को दुहराती है और काल के प्रभाव से अप्रभावित रहकर ये कहानियाँ कई युगो तक इतिहास के तथ्यो को नष्ट होने से बचाती है। इतिहास शब्द के सकीर्ण अर्थ को न स्वीकार कर मैने इसे व्यापक अर्थ मे व्यवहृत किया है और इसीलिए विभिन्न दृष्टियो से ऐतिहासिकता का इन कथाओ के आधार पर परीक्षण करने का भी प्रयास किया है। धार्मिक विकास, सामाजिक उत्थान, राजनैतिक विकास आदि मे भी तो ऐतिहासिकता अपेक्षित है । ऐसी परिस्थिति मे ये कथाएँ विशेष महत्वशालिनी सिद्ध हो सकती है ।
श्रद्धय डॉ० जगदीशचन्द्र जैन ने अपनी पुस्तक 'दो हजार वर्ष पुरानी कहानियाँ' मे सगृहीत ऐतिहासिक कहानियो के सम्बन्ध मे जो कुछ लिखा है वह तर्क सगत एव मनन करने योग्य है । वे लिखते है "इन कहानियो का सकलन यथासभव ऐतिहासिक सूत्र से किया गया है । महावीर और बुद्ध के समकालीन अनेक राजा-रानियो का उल्लेख प्राकृत और पालि साहित्य मे आता है। जैनो ने इन राजाओ को जैन कहा है और बौद्धो ने बौद्ध । वस्तुत राजाप्रो का कोई धर्म विशेष नही होता, वे प्रत्येक महान पुरुष की सेवा उपासना करने मे अपना धर्म समझते हैं। इसके अतिरिक्त प्राचीन काल मे