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४८६ / जैन कथामाला (राम-कथा)
दाह-संस्कार के पश्चात् श्रीराम वैराग्य लेने को तत्पर हो गये किन्तु समस्या थी अयोध्या के राज्य भार की । लक्ष्मण के देहान्त के पश्चात् राज्य सिंहासन रिक्त हो चुका था। अतः श्रीराम ने शत्रुघ्न को आदेश दिया
लक्ष्मण को असाध्य रोग होगा, दूसरे स्वप्न का फल आयु का नाश और तीसरे स्वप्न का परिणाम होगा कि आप (रामचन्द्र) दीक्षा ग्रहण कर लगे। .
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(श्लोक ६६५-६६) तदनन्तर लक्ष्मण को असाध्य रोग हुआ और माघ कृष्णा अमावस्या के दिन उसी रोग से उनकी मृत्यु हो गई तथा चौथी भूमि में गये ।
(श्लोक ७००-७०१) रामचन्द्रजी ने उनका अग्नि संस्कार किया और लक्ष्मण के बड़े पुत्र पृथ्वीसुन्दर को राजा बनाया तथा अपने सबसे छोटे पुत्र अजितंजय (सीता से उत्पन्न आठ पुत्रों में सबसे छोटा) को युवराज पट दिया और मिथिला देश का भार भी उसे दिया । (श्लोक ७०४-७०६)
वे सिद्धार्थ नाम के वन में गये और शिवगुप्त केवली के पास धर्म श्रवण किया।
(श्लोक ७०७-७०८) . ___ हनुमान, सुग्रीव आदि ५०० राजाओं तथा १८० पुत्रों के साथ उन्होंने संयम ग्रहण कर लिया।
(श्लोक ७११) पृथिवी सुन्दरी आदि माठ महारानियों के साथ सीताजी ने भी श्रुतवती नाम की साध्वी के पास दीक्षा धारण कर ली।
(श्लोक ७१२) पृथिवीसुन्दर और अजितंजय दोनों ने श्रावक के व्रत ग्रहण किये।
(श्लोक ७१३) (ख) वाल्मीकि रामायण में लक्ष्मण की मृत्यु के सम्बन्ध में निम्न घटना दी गई है
एक दिन एक तपस्वी ने आकर लक्ष्मण से कहा 'मुझे श्रीराम से