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:११: वासुदेव को मृत्यु
राजा था।र ने पुत्रियों कार में सम्मिलित दी और चन्द्र
. वैताढयगिरि पर स्थित कांचनपुर में कनकरथ विद्याधरों का राजा था। उसकी दो पुत्रियाँ थीं-मन्दाकिनी और चन्द्रमुखी । राजा कनकरथ ने पुत्रियों का स्वयंवर किया। राम और लक्ष्मण भी अपने पुत्रों सहित स्वयंवर में सम्मिलित हुए । मन्दाकिनी ने स्वेच्छा से लवण के गले में वरमाला डाल दी और चन्द्रमुखो ने अंकुश के कण्ठ में। . . . . . :
यह देखकर श्रीधर आदि लक्ष्मण के ढाई सौ पुत्र कुपित हो गये । उन्होंने लवण और अंकुश से युद्ध करने का विचार किया। भाइयों को युद्ध के लिए तत्पर सुनकर लवण और अंकुश ने सेवकों से कहलवाया
-हम लोग तुमसे युद्ध करना नहीं चाहते क्योंकि भाई अवध्य होते हैं। जिस प्रकार हमारे पिता श्रीराम और काका' लक्ष्मण एक हैं उसी तरह हम और तुम । इसीलिए तुम लोग ईर्ष्या मत करो। - इन शब्दों को सुनकर लक्ष्मण के पुत्र श्रीधर आदि को अपने अकृत्य पर घोर पश्चात्ताप हुआ । वे सोचने लगे-'अरे ! अपने बड़े भाई श्रीराम के अनन्य सेवक लक्ष्मण के पुत्र होकर भी हमने अपने अग्रजों-लवण. और अंकुश-से ही युद्ध करने का विचार