________________
: १० : सीता, सुग्रीव आदि के पूर्वभव
सचेत होते ही राम के मुख से सीता का ही नाम निकला। लक्ष्मण ने कहा
-आर्य ! माता सीता तो महाव्रत धारण करके हमको मुक्ति का मार्ग दिखा गई। ___ सीताजी की प्रव्रज्या ने राम को अपना स्नेह बन्धन तोड़ने के लिए विवश कर दिया। वे उनके कल्याण मार्ग में बाधक बनने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। संतोप धारण करके बोले-उसने बहुत अच्छा किया।
, सभी केवली की वन्दना करने पहुंचे। राम ने नमन-वन्दन के पश्चात पूछा
-प्रभु ! मैं भव्य हूँ या अभव्य ? केवली ने बताया-राम ! तुम भव्य हो और इसी भव से मुक्त होगे ।
-लक्ष्मण के प्रति मेरा दुस्त्याज्य प्रेम है । कैसे मैं दीक्षा धारण करूँगा और कैसे मुझे मुक्ति की प्राप्ति होगी। क्योंकि विना सकल संयम के मुक्ति नहीं होती। -प्रश्न उबुद्ध हुआ।