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पिता-पुत्र का मिलन | ४५५ इसके बाद राम अनुज और पुत्रों के साथ पुष्पक विमान में बैठकर अयोध्या लौट आये।
राजा और प्रजा दोनों ने मिलकर पुत्र-मिलन के उपलक्ष में बहुत बड़ा उत्सव मनाया।
लवण-अंकुश सहित राम-लक्ष्मण अयोध्या में आनन्द से रहने लगे।
-त्रिषष्टि शलाका ७९ * *
(३) शत्रुघ्न को मूछित कर दिया ।
दोहा ४५] (४) श्रीराम ने भागे हुए सैनिकों के द्वारा शत्रुघ्न के मूछित होने का समाचार जाना तो लक्ष्मण को अपार सेना के साथ भेजा। लक्ष्मण ने पहले तो कुश को गदा मारकर अचेत कर दिया फिर वाण मार कर लव को। तब तक कुश ने सचेत होकर लक्ष्मण को मूछित कर दिया । सैनिकों ने लक्ष्मण के मूर्छित होने का समाचार राम के पास आकर कह सुनाया।
दोहा ४६-४८] (५) तव भरत के साथ हनुमान, विभीपण, अंगद, सुग्रीव, नल, ' नील आदि को भेजा । दोनों भाइयों (लव-कुश) ने हनुमान, जामवन्त आदि को बांध लिया और भरत को मूछित कर दिया । [दोहा ४६-५३]
(६) अन्त में श्रीराम पहुंचे तब वाल्मीकि ऋषि ने उन्हें लव-कुश का परिचय दिया। सभी भाई सचेत हो गये । राम ने लक्ष्मण को सीता के पास शपथ लेने हेतु भेजा । सीता ने राम की इच्छा जानकर शपथ ली और शेषनाग के हजार फनों पर रखा सिंहासन भूमि से निकला । . शेषनाग ने आदर सहित सीता को सिंहासन पर विठाया और भूमि में अन्दर जाकर अलोप हो गया । राम अपने सभी भाइयों और हनुमान, सुग्रीव आदि वीरों तथा अपने दोनों पुत्रों सहित अयोध्या लौट आये ।
[दोहा ४६-५८]