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पुत्र - जन्म | ४४३
यह सुनकर सीता ने आग्रह किया
-इन दोनों की शिक्षा का भार आप ही ग्रहण करें । सिद्धार्थ ने सीता का आग्रह स्वीकार कर लिया और वहीं रहकर लवण और अंकुश दोनों भाइयों को विद्या, कला, धर्म और शस्त्र अस्त्रों की शिक्षा देने लगा ।'
योग्य गुरु को पाकर दोनों पुत्र युवक होते-होते सभी कला और विद्याओं में पारगामी हो गये । वे ऐसे पराक्रमी और दुर्द्धर थे कि देवतागण भी उनके समक्ष न टिक पाते । बल में, शस्त्रास्त्र विद्या में,. आगम और धर्म के गूढ रहस्यों में उनकी समता करने वाला पुरुष दूसरा कोई दिखाई नहीं देता था ।
वज्रजंघ ने अपनी रानी लक्ष्मीवती के गर्भ से उत्पन्न पुत्री शशिचूला तथा अन्य दूसरी बत्तीस कन्याओं का विवाह लवण के साथ कर दिया | अंकुश के विवाह के लिए पृथ्वीपुर के राजा पृथु की रानी कनकवती से उत्पन्न पुत्री कनकमाला की माँग की ।
राजा पृथु पराक्रमी होने के साथ-साथ अभिमानी भी था । उसने वज्रजंघ की माँग को ठुकराते हुए व्यंगपूर्वक कहा
- जिसके वंश का ही पता न हो उसे अपनी कन्या कौन देगा ? यह व्यंग्य वज्रजंघ को चुभ गया। उसने राजा पृथु पर चढ़ाई कर दी और प्रथम ही युद्ध में पृथु राजा के मित्र को बन्दी बना लिया ।
१ (क) उत्तरपुराण में राम के पुत्र का नाम विजय राम दिया है ।
(ख) राम के पुत्रों का नाम कुश और लव था । इन दोनों का जन्म, ( श्लोक ६६० ) वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में हुआ था और ऋषि वाल्मीकि ने ही उन्हें शिक्षित किया तथा २४००० श्लोक प्रमाण 'रामचरित' रचकर उन्हें सिखाया |
[ वाल्मीकि रामायण : उत्तरकाण्ड ]