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:१: विभीषण का राज्यतिलक
समस्त वानर-सेना तो रावण की मृत्यु पर हर्ष से नाच रही थी किन्तु विभीषण, का भ्रातृप्रेम जाग उठा । वह रावण के शव को देखकर विलाप करने लगा-'अरे भैया ! तुम कहाँ जाते हो ? सदा तो साथ रखा और अव अकेले ही चल दिये। मैं भी तुम्हारे पास आता हूँ।' इस प्रकार शोक संतप्त होकर उसने अपनी छुरी निकाली और आत्मघात करने लगा। उसो समय श्रीराम ने उसका हाथ पकड़ लिया और समझाते हुए कहने लगे
-भद्र ! तुम्हारा बड़ा भाई महा पराक्रमी था। उसने युद्ध क्षेत्र में वीर-गति पाई है। उसके लिए शोक न करके अन्तिम क्रिया का प्रबन्ध करो। ___ श्रीराम के बार-बार समझाने से विभीषण को कुछ धैर्य बँधा। सव नियति खेल मानकर उसने सन्तोष धारण किया।
विभीषण चुप हुआ तो रावण का अन्तःपुर कल्पांत करता हुआ आ गया । मन्दोदरी आदि के करुण क्रन्दन के कारण वानरों का विजयोल्लास फीका पड़ गया। सभी के रुदन से उस महावली के प्रति संवेदना उमड़ आई। राम की आज्ञा से कुम्भकर्ण, इन्द्रजित आदि बन्धन मुक्त हुए तो वे भी रावण के शव के पास आकर शोकपूर्ण रुदन करने लगे । आँसुओं की झड़ी लग गई।