________________
: १५: विशल्या द्वारा स्पर्श-उपचार
रात्रि के निविड़ अन्धकार में भरत अयोध्या के राजमहल की छत पर प्रगाढ़ निद्रा में लीन थे। विमान से महल की छत पर उतर कर तीनों वीरों (हनुमान, भामण्डल और अंगद) ने भरत को सोता - हुआ देखा तो चिन्ता में पड़ गये । स्वामी का कार्य तो करना ही था। भरत को जगाये बिना वह कैसे होता? और यदि असमय जगाने पर भरत नाराज हो गये तो......? __उन्होंने सोच-विचारकर एक युक्ति निकाली। मधुर स्वर में उनकी शय्या के समीप खड़े होकर गाने लगे । स्वर-लहरी के कानों में प्रवेश करते ही भरत की निद्रा टूट गई । भामण्डल ने तुरन्त नमस्कार किया। रात्रि के समय भामण्डल की चिन्तित मुख-मुद्रा देखकर भरत विस्मित रह गये। इधर-उधर देखा तो दो वीर और खड़े थे। अचकचाकर पूछा
-भद्र भामण्डल ! तुम्हारे साथ ये दोनों वीर कौन हैं ? -
इंगित करते हुए भामण्डल ने बताया-यह पवनंजय के पुत्र महापराक्रमी वीर हनुमान हैं और यह हैं वानरराज सुग्रीव के सुपुत्र अंगद । __ -तुम सबके चेहरों पर हवाइयाँ क्यों उड़ रही हैं ? आधी रात के समय आगमन का कारण ?