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: १२: युद्ध का दूसरा दिन
सूर्योदय के साथ ही राक्षस सेना युद्ध के लिए सन्न होकर आगे वढी । मध्य में मेरुगिरि के समान राक्षसराज रावण स्वयं सैन्य संचालन करने लगा।
राम और रावण की सेना में घोर युद्ध हुआ। रावण द्वारा प्रेरित किये जाने के कारण राक्षस वीरों के हौसले बढ़े हुए थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण वल लगाकर वानर सेना को पीछे धकेल दिया । वानरों में भगदड़ मच गई।
सेना भंग से सुग्रीव को क्रोध चढ़ आया। वह अपने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगा तो हनुमान ने आगे बढ़कर कहा
-वानरेश ! आप यहीं ठहरे और मेरा पराक्रम देखें।
यह कहकर हनुमान ने सुग्रीव को तो वहीं रोका और स्वयं राक्षसों के सैन्य में मंदराचल की भाँति कूद पड़े। उनकी भयंकर मार से राक्षस वीरों में हलचल मच गई। ऐसा प्रतीत होता था मानो हनुमान रूपी मंदरगिरि राक्षस सेना रूपी समुद्र को मथे दे रहा हो।
उनका सामना करने के लिए आया वृद्ध राक्षस मालो। माली महावलवान और दुर्जय था। किन्तु वृद्धावस्था के कारण उस की फूचूस्ती और ति में कमी आ गई थी। फिर भी वह हनुमान से खूब