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________________ सीता की खोज | ३१५ -बच्चों का खेल नहीं है तो क्या रावण अमर है ? --लक्ष्मण ने भी शान्तिपूर्वक जंववान से पूछा। -अमर तो नहीं है, किन्तु उसको वही वलवान मार सकेगा जो कोटिशिला को वाएँ हाथ से उठा लेगा। -जंववान ने बताया । किसने वताया तुम्हें यह सब ? –लक्ष्मण ने पूछा। -एक बार अनलवीर्य नाम के ज्ञानी साधु ने मुझे यही बताया था कि जो महाभुज कोटिशिला को उठा लेगा वही रावण को 'मार सकेगा। ' -कहाँ है वह कोटिशिला ? जंववान लक्ष्मण की इच्छा को समझ गये । उन्होंने कहा-- -यदि आप उस शिला को उठा लेंगे तो हमें विश्वास हो जायगा। लक्ष्मण तैयार थे ही। जंववान आकाश-मार्ग से उन्हें कोटिशिला के पास ले गये । वह शिला महाभुज लक्ष्मण ने लता के समान उठा ली। उसी समय देवों ने आकाश से 'साधु-साधु' कहकर उनका अभिनन्दन किया और पुष्प वृष्टि की। जंबवान उन्हें लेकर वापिस लौट आये। उन्होंने आकर घोषणा कर दी-लक्ष्मणजी निस्सन्देह रावण को मार देंगे। इस घोषणा से सभी को हर्ष हुआ। जंबवान ने श्रीराम से प्रार्थना की -स्वामी ! आप समर्थ हैं। रावण के काल रूप लक्ष्मण आपके अनुज हैं किन्तु........ -किन्तु क्या ! -राम ने पूछा। __-नीति यह है कि पहले दूत भेजना चाहिए। यदि शत्रु समझाने से न माने तो युद्ध अनिवार्य है ही।
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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