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२७० | जैन कथामाला (राम-कथा)
- दण्डकारण्य में कहीं से राम-लक्ष्मण नाम के दो युवक एक स्त्री सीता के साथ आए हैं । उन्होंने ही मेरे पुत्र को मारा है । तुम उनको मारकर पुत्रवध का वदला लां ।
पुत्र की हत्या ने पिता की क्रोधाग्नि को भड़का दिया वह अपने साथ चौदह हजार विद्याधरों को लेकर राम-लक्ष्मण को मारने चल दिया ।
खर को शूर्पणखा का भाई लिखा है । उसका विवाह कालिय जाति के दानव राजा विद्युज्जिह्न से हुआ था । वरुण से यह बुद्ध करने के पहले ही रावण ने अपनी तलवार से उसके सौ टुकड़े कर ले क्योंकि वह युद्ध में रावण को मार डालना चाहता था। इस प्रकार राम के पास जाने से बहुत पहले ही शूर्पणखा विधवा हो गयी थी ।
[ वाल्मीकि रामायण, उत्तरकाण्ड ] विशेष - ( क ) उत्तर पुराण में वूक वध का कोई उल्लेख नहीं है । इसी प्रकार चन्द्रनखा का भी कोई उल्लेख नहीं है । साथ ही खर-दूषणत्रिशिर आदि भी वहाँ नहीं दिखलाये गये हैं । सूपर्नखा नाम की दूती का अवश्य लल्लेख है । वह सीताजी के पास भी जाती है । संक्षिप्त रूप में घटना निम्न प्रकार है
एक बार नारदजी रावण की सभा में जा पहुंचे और उन्होंने सीता के रूप की बहुत प्रशंसा की । उन्होंने कहा - मिथिला के राजा जनक ने यज्ञ के बहाने दशरथ-पुत्र राम को बुलाया और उसके साथ जानकी का विवाह कर दिया । इस प्रकार तुम्हारा अनादर किया । ( पर्व ६८, श्लोक ६७) । वह राम आजकल बनारस में राज्य कर रहा है । (श्लोक ६८) यह सुनकर रावण कामाभिभूत हो गया । ( श्लोक १०२ ) । नारद ने ही आगे कहा—राम इस समय खूब उन्नत हो रहा है । छोटे भाई लक्ष्मण के कारण उसका प्रताप बढ़ गया है । अन्य राजा महाराजाओं ने अपनी कन्या देकर उससे सम्बन्ध जोड़ लिया है । अतः युद्ध करना ठीक नहीं 1
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(श्लोक १०६-१०६)