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२४८ | जैन कथामाला (राम-कथा)
केवली की धर्म-सभा का समाचार वंशस्थलनरेश सुरप्रभ को भी लगा । वह भी वहां आया और धर्मदेशना से लाभान्वित हुआ।
सुरप्रभ ने राम का वहत उपकार माना। श्रीराम की स्मृति में वंशशैल्य पर्वत का नाम ही रामगिरि पड़ गया।
राजा सुरप्रभ की अनुमति लेकर राम-लक्ष्मण-सीता आगे चल दिये।
-त्रिषष्टि शलाका ७५
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